पंचपोथी - एक परिचय
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Aakriti gontiya
(1 ) उम्र का दौर....
निंरतर चलता रहता है, पैर थक भी जाये फिर भी किसी के लिये थमता नहीं,
इसमे कई मोड़ है तो कई पडा़व है, जैसे तेज पानी की धार का बहाव है,
बचपन का हरा ,जवानी का सुर्ख लाल,बुढा़पे का सफेद,
हर रंग जिंदगी के कैनवास पर उतरता हैं,
ये खूबसूरत दौर हर किसी को किस्मत से ही मिलता है,
कभी हँसता खिलखिलाता चेहरा तो कभी मेहनतकश जवानी है,
कभी दिखती है माथे में अनुभव की लकीरें,
यहीं अंतिम दौर की निशानी हैं,
उम्र को ना नापें बस हर पल जिये,
सुख दुख के सफर में दो घूँट गम के भी पिये,
ये सफर भी थम जायेगा,
उम्र का दौर कैसा भी हो पर कट जायेगा।।
✍️❤️आकृति गोंटिया
2.किसान....
लगती जरुर आसान है,
पर मुश्किल खेती किसानी होती है।।
बहुत कठिन कहानी होती है,
हरे भरे खेत थके बदन की निशानी होती हैं।।
दिन रात का कोई मतलब नहीं,
हर पहर एक सी रवानी होती हैं।।
मौसम अनूकूल हो तो खुशहाली हैं
वरना मेहनत भी पानी होती है।।
✍️Aakriti Gontiya
3....शीर्षक माँ...
मेरा सर्वस्व ,मेरा अभिमान हो,
घर में बसता भगवान हो।।
पीडा़ सहकर छाँव में पालती,
माँ तुम मेरे लिये हर दुख सहती।।
हर दर्द का इलाज तुम्हारे पास मिलता,
पल भर में सारा संसार तुझमें दिखता।।
त्याग,समर्पण, वात्सल्य की देवी हो माँ,
शब्द रुक जाते,लेखनी थम जाती,जब तेरे बारे में लिखती हूँ माँ।।
Aakriti Gontiya✍️
4......शीर्षक..... बेटी .....
🎎नाजुक सी कलिया कब फूल बन जाती है,
बेटियां ना जाने कब बडी़ हो जाती है,
नन्ही सी गुड़िया जैसी होती है।।
साजन के घर ना जाने कब चिड़िया बन उड़ जाती है।
पढ़ लिखकर माँ बाप का मान बढ़ाती है।।
उलझन भरी जिंदगी को सुलझा देती हैं।
परिवार की होती है शान ये परिया अलवेली।।
माँ की बन रहती है सखी सहेली।
हो जाती है पराई जीवन की है कैसी अजब पहेली ।।🤔🤰👰
आकृति गोंटिया
5....शीर्षक .....गर्दिश...
न जाने ये कैसा साल हैं,
हर शख्स यहाँ बेहाल हैं,
मुँह छुपाये घूम रहे हैं,
ये कोरोना काल हैं,
गर्दिश में सितारे आजकल हैं,
हर किसी का यही हाल हैं।।
Aakriti Gontiya✍️
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