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आजादी
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विषय - आज़ादी
परिचय - Neetu Ashwani
शीर्षक - आज़ादी
कैसे ज़मीर को गुलाम बना आजादी का महत्व तुम भूल गए,
और भूले तो भूले अमन, चैन की भाषा भी भूल गए।
वर्ष नहीं बीते अभी इतने जितना जल्दी तुम मानवता भूल गए,
बस आज़ादी क्या मिली तुम इंसानियत ही भूल गए।
खुली हवा में साँस लेकर पिंजरे की बंदिशे भूल गए,
भाईचारा और सद्भाव की लाज रखना भी भूल गए।
ख़्वाब था स्वर्ग से सुन्दर वतन बनाने का हर देश के सेनानी का,
पर पथरीली राहों पर चल कर भी तुम ठोकर का दर्द भूल गए।
खून से सींचा था जिस क्रांतिकारियों ने आज़ादी की फुलवारी को,
पर तुम तो महकती बगिया से फुलवारी को ही लूट गए।
कितना उजला था हिंदुस्तान की मिट्टी का दिलों में मोल,
पर तुम तो मिट्टी को हिस्सों में बाँट भारत माता है यह भूल गए।
देश के तिरंगे झंडे का रंग क्या महत्व बतलाता भूल गए,
स्वतंत्रता की चकाचौंध में तुम स्वतंत्रता की मर्यादा भूल गए।
माँ भारती के कोमल आँचल पर तुम नारी को ही लूट गए,
नरभक्षी दानव बन कर तुम वेद, पुराण, संस्कृति को भूल गए।
कुर्सी के लोभ, मोह, माया में ईमानदारी, सच्चाई भूल गए,
राजनीति के भवर में फस कर तुम अपना असली मकसद भूल गए।
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