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बुधवार, 18 नवंबर 2020

समय /dimple khipla

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©️कॉपीराइट-      पंचपोथी के पास संकलन की अनुमति है।इन रचनाओं का प्रयोग      की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता हैं।




                 "समय"



   समय की धारा कैसे बहती।
    पता नहीं क्या -क्या है कहती।
    दुखों-सुखों का संगम लेकर, 
    बस ऐसे ही ये बहती रहती।
    सुखों में  सब खुश रहते हैं। 
   गमों की धारा सब को रूलाती। 
   कर्मफल है अपना-अपना.... 
   समय की धारा यही समझाती




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