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"समय"
समय की धारा कैसे बहती।
पता नहीं क्या -क्या है कहती।
दुखों-सुखों का संगम लेकर,
बस ऐसे ही ये बहती रहती।
सुखों में सब खुश रहते हैं।
गमों की धारा सब को रूलाती।
कर्मफल है अपना-अपना....
समय की धारा यही समझाती
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