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विधा - कविता
शीर्षक - दीप मालिका पर्व
दिनाँक - १४/११/२०२०
दिवस - शनिवार
देवी महालक्ष्मी एवं गणपति के संग करें कुबेर देवता का पूजन दीवाली में
धूप - दीप - नैवेद्य - फल - फूल - मेवे - मिष्ठान्न सजाएँ पूजन की थाली में
चिर आरोग्य,सुख - संपदा , ऐश्वर्य- वैभव सहित कामना करें सदैव खुशहाली की
अनुपम सौंदर्य परिलक्षित करती जगमग दीपकों की इस रोशनी मतवाली की
द्वार सजे तोरण उन्नत और शुभता की प्रतीक उकेरी रंग-बरंगी रंगोली निराली है
प्रेम - प्यार,मेल- सौहार्द्र, आपसी भाईचारे का यह पावन प्रकाश पर्व दीपावली है
कार्तिक अमावस्या को दीपावली की रैना रहता विलुप्त नभमंडल से रजनीश
अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाती चहुंदिशि दीपमालिका प्रकाशित
श्रीरामचंद्र सिया लखन सहित लौटे इस दिन वनवास से यह किंवदंती प्रचलित
अनुमोदन करते इस तथ्य का दो रामायण महाकाव्य बाल्मीकि एवं तुलसीकृत
द्वापर में श्री कृष्ण द्वारा कार्तिक अमावस्या को दैत्य नरकासुर वध है वर्णित
माँ महालक्ष्मी एवं ऋषि धन्वंतरि की उत्पत्ति का भी यही दिवस है पौराणिक
इन्हीं अद्भुत अप्रतिम कथाओं के कारण युगों से दीपों का त्यौहार है प्रचलित
रिद्धि - सिद्धि सुख - संपत्ति बरसे अपार सब को दीपावली की बधाई हार्दिक
-© Anjalee Chadda Bhardwaj
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