रविवार, 25 अक्तूबर 2020

कविता/Sikha srivastva

  पंचपोथी - एक परिचय


नमस्कार 
तो कैसे है आप लोग?
ठीक हो ना! चलिये शुरुआत करते है सबसे पहले आपका बहुत बहुत स्वागत और हार्दिक अभिनंदन!

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Sikha srivastva 




1- शीर्षक - हिंदी मेरी पहचान है 

मन को भाती है हिंदी सरल है सुंदर है 
सहज है सृजन है अलंकार है 

प्रथम वर्ण हिंदी ही मुख से निकल है 
हिंदी से ही उपजे सारे संस्कार है 

ज्ञान का भंडार है, भाषाओं में अपरम्पार है 
भारतीय जीवन की पहचान है संस्कृति की शान है 

कवि वाणी की जान है भारत माँ का सम्मान है 
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं हिंदी हमारा अभिमान है 

एकता सूत्र में ये सबको बांधे रखती है 
हृदय में इसका सर्वदा प्रथम स्थान है 

राष्ट्रभाषा ये हमारी, इसका अतुलित सम्मान है
हिंदी पर हमें गर्व महान है, हिंदी हमारी पहचान है 




2- शीर्षक - बेटी की दुनिया

बेटी की दुनिया होती है अतरंगी सी 
ख्वाबों से सजी हकीकत से भरी 
सपनों की दुनियां मे उड़ान भरती 
हकीकत मे आने वाले सवालों से नहीं डरती 
खुद से ही लड़ती और खुद से ही जीतती है 
नाजों से पली माँ-पापा की दुलारी 
और फिर बन जाती है पति की परछाई 
अनजाने घर को भी अपना संसार बना लेती 
संस्कारों को जीती है रीतो को निभाती है 
बेटी की दुनिया हर पल बदलती है





3- शीर्षक - मेरा आत्म-सम्मान 

चाहे जो भी हो जाए,आत्म-सम्मान न खोने देना है 
लगने न देना ठेस कभी, आत्म-सम्मान की रक्षा करना है।

इसकी रक्षा के लिए आत्म-विश्वास को आगे रखना है 
मन की आकांक्षाओं पर भी तोड़ा अंकुश लगाना है 

झूठे अहंकार और स्वार्थ में ना कभी रहना है 
मेरा आत्म-सम्मान है,  कौड़ियों के भाव ना तोलना है 

नर हो या नारी सबकी अपनी  गरिमा होती है
किसी के भी आत्म-सम्मान पर ठोकर नहीं लगाना है 

आत्म-सम्मान प्राप्त करने का रास्ता दोनों तरफ का होता है 
आत्म-सम्मान पाने के लिए सम्मान देना भी पड़ता है

आत्म-सम्मान की निर्मल धारा कलुषित भावना को धो देती है
ऐसी पवित्र धारा में स्नान करते हुए भविष्य में जाना है




4- शीर्षक - एक नई शुरुआत 

विफलता और उदासीनता को पीछे  छोड़, 
चलो फिर से एक नई शुरुआत करते है l

जो बीत गया उसे तो नहीं बदल सकते, 
आने वाले पलों को खुशगवार करते है l

सवाल तो कई मिलेंगे रहों में उन्हें हल करते हैं, 
हौसले से निरंतर कर्म पथ पर बढ़ते है l

नहीं रुकेगा वक्त कभी,  उसके साथ चलते हैं, 
लक्ष्य बांध काम कल पर ना टाल आज करते हैं l

कर्मठता और धैर्य को अपना हथियार बनाते है, 
असफलता को कांट, सफलता का इतिहास रचते है l



5- शीर्षक - झरोखे यादों के

झरोखे यादों के, वो हसीन पल वो हसीन लम्हें जो है  
वो यादगार पल आज भी रूह को गुदगुदाते है 

उन यादों ने दिल में ऐसा डेरा बनाया है 
वो यादें आज भी होठों पर खिल आती है

यूँ तो अनगिनत यादें है, कुछ खट्टे कुछ मीठेपन से भरे है 
पर उस लम्हें का ह्रदय पर एक अलग ही छाप बना है 

तुम पहली बार मुझसे मिले, और देख कर मुस्कुराये 
उस वक्त दिल ने मेरे अनगिनत प्रेम गीत गुनगुनाये 

कितनी इच्छाएं,अभिलाषाएं साकार होने को आतुर से होने लगे 
हटने लगा बोझ मन का, तुम मुझमे और हम तुममें खोने लगे 

इज़हार के वो हसीन पल मेरी जिंदगी की जमा-पूंजी है 
जब इत्मीनान की छाँव मे कुछ पल हम यूँ ही बैठे थे 

उस कुछ ही पलों में प्रीत का हमें ठिकाना मिल गया  
देखते ही देखते अब हमारी दुनिया संवार गई 





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