Home रचनाएँ प्रतियोगिता Other जेआर 'बिश्नोई'
©️कॉपीराइट- पंचपोथी के पास संकलन की अनुमति है।इन रचनाओं का प्रयोग की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता हैं।
*आने अंदर झाँक के देखो*
ज़िन्दगी के इस सफर में,
अजब ही यहाँ खेला है।
अपने अंदर झाँक कर देखो,
अनेक भावनाओं का मेला है।।
कभी सुख है कभी दुःख है,
कभी खुशी है तो कभी गम है।
नित उमड़ती हुई भावों का,
जीवन तो इसका संगम है।।
अपने अंदर झाँक कर देखो,
कहीं अच्छाई तो कहीं बुराई।
बुराइयों को दूर हटाकर,
भरो स्वयं में तुम अच्छाई।।
ज़िन्दगी के इस सफर में,
तू बस अकेला है।
अपने अंदर झाँक कर देखो,
तू खुद ही अलबेला है।।
स्वरचित मौलिक रचना
-इन्दु साहू,
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
हमसे जुड़े
👉 Twitter
पंचपोथी
पंचपोथी हिन्दी के नव रचनाकारो की रचना प्रकाशित करने के लिये तथा पाठक वर्ग तक नयी रचना पहुचाने के उद्देश्य से बनाया गया इंटरनेट जाल है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें