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बुधवार, 18 नवंबर 2020

नन्ही सी कली/ कविता/indu sahu

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जीवन की तुम नन्ही सी कली, 
बड़े दिनों बाद हमें मिली।
जीवन रूपी इस बगिया में, 
मानो एक सुगंधित फूल खिली।।

हमारे चेहरे की मुस्कान हो, 
हम सबकी तुम जान हो।
फूल जैसी हो तुम, 
फूलों सी तुम्हारी मुस्कान हो।।

सूर्य समान हो प्रकाश तुम्हारा, 
पर्वत समान संकल्प हो।
तुम्हारा ही हो यह जग सारा, 
लक्ष्य के आगे न विकल्प हो।।

फूलों सी कोमल हो तुम, 
उन्हीं के जैसा नूर रहे।
निज दृढ़ इच्छाशक्ति, 
यूँ ही तुममें भरपूर रहे।।

नित कर्म अपना करते जाओ, 
खुद में तुम विश्वास रखो।
जो लक्ष्य तुम्हारा है अपना, 
पाने की बस तुम आस रखो।।

जगमग चमके तुम्हारा जीवन, 
चहुँ ओर हो उजियारा।
उन्नति के उस शिखर पर, 
चमकेगा तुम्हारा ही सितारा।।

फूल जैसी हो तुम, 
ज़रूरत पड़ने पर दुर्गा जैसी।
तुममें अपार शक्ति है, 
लोगों में मतभेद कैसी।।

खुशियों से भरा जीवन हो, 
नहीं आए कहीं गम की धारा।
फूल जैसी हो तुम, 
फूलों से हो मुस्कान तुम्हारा।।

स्वरचित मौलिक रचना

-इन्दु साहू,
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)







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