बुधवार, 18 नवंबर 2020

आस्था/कविता/indu sahu

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विधा: चौपाई

विषय: आस्था


आस्था रखो पावन पुनीता,
रामायण हो या हो गीता।
ज्ञान भक्ति की राह बताये,
अंधकार को दूर भगाये।

छल-कपट नहीं मन में लाओ,
ईशभक्ति के दीप जलाओ।
इसके सम ना कोई दूजा,
चाहे करलो कितनी पूजा।

तुम आस्था स्वयं पर राखो,
अर्जुन तुल्य निशाना साधो।
सदा सत्कर्म करते जाओ,
जग में निज पहचान बनाओ।

अपनी एक पहचान बनाना।
जिससे तुम ही जाओ जाना।।
सबको नित सम्मान सिखाना।
अपना तुम हर फ़र्ज़ निभाना।।

-इन्दु साहू,
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)




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