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*आना जाना लगा रहेगा*
आना जाना लगा रहेगा,
इस दुनिया की महफ़िल में।
कब तक तू ख़फ़ा रहेगा,
अपनों से दिल ही दिल में।
तू भी जनता है और दुनिया भी,
कि तू कितना क़ाबिल है!
क्या नहीं है इस दुनिया में,
जो तुझे नहीं हासिल है।
कोई सा भी ऐसा काम नहीं,
जो तेरे लिए मुश्किल है।
जो साथ है उसे पास रख,
फ़िकर में क्यों तेरा ये दिल है।
आना जाना लगा रहेगा,
इस दुनिया की महफ़िल में।
कब तक तू यूँ ख़फ़ा रहेगा,
अपनों से दिल ही दिल में।।
स्वरचित मौलिक रचना
-इन्दु साहू,
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
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