बुधवार, 18 नवंबर 2020

विस्मृत बलिदान और आज़ादी/kaur dilwant

   Home   रचनाएँ   प्रतियोगिता   Other  जेआर 'बिश्नोई'





©️कॉपीराइट-      पंचपोथी के पास संकलन की अनुमति है।इन रचनाओं का प्रयोग      की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता हैं।







शीर्षक:- विस्मृत बलिदान और आज़ादी
 विधा:- गद्य 

विस्मृत बलिदान और आज़ादी,

संज्ञान नहीं है आजादी की निदाघ दुसाध्य एहसानों का
प्रगतिवादी युग में शोर सुनाई देता विस्मृत बलिदानों का।


                प्रिय देशवासियों, प्रत्येक वर्ष एक प्रथा की भांँति भारतीय अपना आजादी दिवस मनाने को बहुत उत्सुकता दिखाते हैं। इस दिन के आगमन से पूर्व ही तरह-तरह की तैयारियांँ भारत के कोने कोने में देखी जा सकती हैं।एक प्रश्न मेरे हृदय में सदैव ही प्रति ध्वनित होता रहता है कि क्या इस दिवस के सूत्रधार हजारों बलिदानी जो अपना अस्तित्व देश की स्वतंत्रता की खातिर मिटा गए, क्या हम उन्हें उचित सम्मान दे रहे हैं।

          हमारी प्रगतिशील जिंदगी में ख़ास-ओ-अहम दिवस, समारोह ,आनंद के उत्सव, हमारी दिनचर्या तथा विभिन्न कार्यों में हमारी सहभागिता सुनिश्चित रूप से अहम है।
          
          परंतु हमारी संस्कृति, परंपराओं, तथा हमारे आज के संरक्षक वीर बलिदानी हमारी स्मृति में कहांँ तक जीवित हैं?
          
           हृदय द्रवित हो उठता है जब विद्यार्थियों के साथ इस विषय में वार्तालाप करते हुए उनकी आंँखों में वह चमक या आदर नजर नहीं आता जो एक देश प्रेमी के स्वभाव में होता है। ऐसा केवल विद्यार्थियों के साथ ही नहीं है यदि उनके माता पिता उनका लालन पोषण ऐसे वातावरण में करते जहांँ पर उनको अपनी विरासत के संरक्षकों का ज्ञान उचित माहौल में दिया गया होता, उन्हें आजादी के संघर्ष की गाथाएंँ, तत्कालीन हालात, जनमानस पर हुआ अत्याचार, और उसका प्रतिकार, नौजवानों का मातृभूमि के प्रति निस्वार्थ प्रेम, विपरीत परिस्थितियों में धैर्य तथा साहस का अद्भुत परिचय, पुरुषों के साथ साथ नारियों का अनुपम बलिदान, कम उम्र बालकों का स्वतंत्रता के प्रति साहसी दृष्टिकोण, आजादी प्राप्त करने के लिए अनथक एवं अनंत परिश्रम आदि अधिक ना सही थोड़ा ही परिचय करवाया गया हो।
  
          भारत देश जो लंबे समय तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा, पहले मुगलों ने भारत भूमि का शोषण किया तत्पश्चात अंग्रेजों ने भी पूर्ण लाभ उठाया, परिणामस्वरूप भारतीयों के रोष का शिकार भी होना पड़ा। स्वाभिमानी देशभक्तों ने अपने देश की रक्षा की खातिर ना केवल आवाज उठाई अपितु अवसर के अनुसार हथियार भी उठाने में गुरेज नहीं किया। अत्याचारी आक्रमणकारियों, शोषणकारी व्यवस्था का उचित उत्तर देने का पूर्ण प्रयास किया।

           यह लिखना या कहना जितना सरल लगता है उतना सुगम नहीं है ऐसी व्यवस्था के सामने तन कर खड़े हो जाना जो कि ना केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो अपितु शक्तिशाली साम्राज्य का उदाहरण भी हो। 

           शहीदों के बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए फूलों के हार चढ़ा देना ही काफी नहीं होता बल्कि उनके दिखाए गए मार्ग पर चलकर देश की समृद्धि के लिए उचित उपाय करना भी हमारा कर्तव्य है। देश की सुरक्षा के लिए,मौलिक तथा नैतिक कर्तव्यों का निर्वाहन करना अत्यंत जरूरी है।
       
     हमारे ऐसे कई देश भगत बलिदानी हैं जिन्होंने अपनी जिंदगियाँ वतन की हिफ़ाज़त के लिए कुर्बान कर दीं,
 जिनमें से ज्यादातर के तो नाम भी किसी को याद नहीं, और अगर कुछ एक बलिदानियों के नाम समृति पटल पर जिंदा है तो उनकी वीरता और बलिदान को उचित सम्मान देने में भी हम लोग असमर्थ महसूस करते हैं।
         
           उनकी भावी पीढ़ियांँ या उत्तराधिकारी किस दशा में है, कितनी कठिनाइयों से अपना जीवन यापन कर रहे हैं 
 हमारी दृष्टि से अनदेखा क्यों रह जाता है?
           
        मैंने इस गद्य में किसी क्रांतिकारी, बलिदानी या शहीद का नाम उल्लेखित नहीं किया क्योंकि केवल लिख देने से उनके प्रति समर्पण प्रकट नहीं किया जा सकता,।
           
       उन बलिदानों को उचित सम्मान तभी प्राप्त होगा जब उनके लहू से सिंचित इस भूमि को वास्तव में उनके सपनों का भारत बनाने में सक्षम होंगे।
         

  जय भारत
  जय वीर जवान





हमसे जुड़े


👉     facebook
👉     facebook page
👉     facebook group 
👉     instagram 
👉     youtube 
👉     Twitter  
👉     Downloud app


पंचपोथी 

पंचपोथी हिन्दी के नव रचनाकारो की रचना प्रकाशित करने के लिये तथा पाठक वर्ग तक नयी रचना पहुचाने के उद्देश्य से बनाया गया इंटरनेट जाल है।



   
          Terms of service           Privacy policy

                                   Copyright

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पंचपोथी

पंचपोथी - एक परिचय      Bloomkosh अन्धकार है वहाँ जहाँ आदित्य नहीं, मुर्दा है वो देश जहाँ साहित्य नहीं।। नमस्कार  तो कैसे है आप लोग? ठीक हो ...