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शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

आजादी/कविता/nisha kamwal

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                आजादी                 




©️कॉपीराइट:nisha kamwal    पंचपोथी के पास संकलन की अनुमति है।इन रचनाओं का प्रयोग   nisha kamwal    की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता हैं।




शीर्षक:-आजादी

स्वर्णिम उपहार जो हमनें उन वीरो की शहादत से पाया था,उसका नाम आज़ादी कहलाया था,
हुनरमंद होनहार थे,उनके नायाब हौसले वो सच्चे देशभक्त माँ भारती के प्यारे वीरपुत्र कहलाये थे,
सच्चाई, अहिंसा सत्याग्रह त्याग का ले सहारा,बिन खड्ग के आज़ादी का चोला हमें ओढ़ाया था,
वो तो हो रक्तरंजित स्व लहु से तिरंगा बड़ी शान से मेरे प्यारे भारत देश मे उन्ही योद्धा ने लहराया था,
आज भी जो सर्वप्रिय सर्वश्रेष्ठ संस्कृत की सुता मेरी मीठी वाणी हिंदी का मान सम्मान बढ़ाया था,
कर बहिष्कार विदेशी वस्तु का,आज मेरे भारत को समुलता से आत्मनिर्भर बनाया था,
भूलना न कभी सुकर्मों के स्वर्णिम उपहार को,उन्हें याद कर उनकी शहादत में दिल भर आया था।

स्वरचित मौलिक रचना।






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