बुधवार, 18 नवंबर 2020

आख़िर मुझे क्यों ?/कविता/anjalee chadda bhardwaj

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विधा - कविता

शीर्षक - आख़िर मुझे क्यों ?


हवस की गंदी भूख तुम्हारी थी
उसको मिटाने को मुझे क्यों नोचकर खाया ?

काम पिपासा तुम्हारे भीतर थी
उसके बुझाने का ज़रिया मुझे क्यों बनाया ?

पाप तुम्हारे हृदय में समाया था
उसका कहर तुमने मेरे शरीर पर क्यों ढाया ?

राक्षसी - पापी प्रवृत्ति तुम्हारी थी
उसका दंश मेरी आत्मा को क्यों पहुँचाया ?

विकृत मानसिकता तो तुम्हारी थी
उसका बदनुमा दाग मुझ पर क्यों लगाया ?

हैवानियत का नंगा खेल तुम्हारा था
उसका तुच्छ सा मोहरा मुझे क्यों बनाया ?

क्या दोष था मेरा,क्या बिगाड़ा था
तुम्हारा जो यह अत्याचार मुझ पर ढाया ?

-© Anjalee Chadda Bhardwaj
 
मौलिक स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित




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