पंचपोथी - एक परिचय
नमस्कार
यदि आप इन app पर नये है तो हमारे referral code use करे:-
तो कैसे है आप लोग?
ठीक हो ना! चलिये शुरुआत करते है सबसे पहले आपका बहुत बहुत स्वागत और हार्दिक अभिनंदन!
आपको बता दिया जाता है कि यह पंच पोथी समूह नये कवियों व नये लेखकों का मंच है ,इस मंच पर नये कवि व लेखक जो अपनी रचना प्रकाशित करना चाहता हो तो उन रचना को यहाँ प्रकाशित किया जाता है।
आपकी रचना कैसे प्रकाशित करे?
आप एक कवि या लेखक है तो हमे रचना भेज सकते है।
1 - आपकी रचना मौलिक होनी चाहिये।
2 - कम से कम 5 रचना भेजे।
3 - हमें आपकी रचना email के माध्यम से भेजे।
- panchpothi29@gmail com
4 आपकी रचना आपके नाम से ब्लॉग पर post की जायेगी।
हमसे social मीडिया पर जुड़ने के लिये click करे
👉 facebook
👉 Get 100 Rs discount to buy Nojoto Gold & Watch Top Artists & Celebs LIVE.
पाइये 1०० रूपए का डिस्काउंट नोजोटो गोल्ड पर और देखिये लाइव प्रोग्राम भारत के उभरते हुए कलाकारों और फेमस लोगों का|
Use my Referral Code: Your referral code:
jasu4281374518062
यदि आप इन app पर नये है तो हमारे referral code use करे:-
Your quote app
Code- cl8w8
Code- bn37p
Code- bvwjz
Nojoto app
Code-
jasu4281374518062
jasu4281374518062
यदि आप game के शौकीन है तो क्लिक करे Go play
Sheetal naladkar
शीर्षक : - " कैसा ये युग आया "
कैसा ये युग आया धर्म अधर्म और नीतिमूल्यों को भूल अत्याचार बढ़ धरती को भी सहन आया।
सहन शक्ति के मर्यादा का अंत हुवा प्रकृति ने भी अंत करना सोच महामारी का कहर ले आया।
मनुष्य अब मनुष्यता को भूल हैवानियत के जनम से हर मनुष्य फ़रेबी बन गया।
इस युग मे सच्चा प्यार कभी न पाया मनुष्य कपड़ो बदलने जैसे पलों में प्यार बदलता पाया।
संस्कारों को भूल नारी को अपमानित कर दुष्टता से नारी को व्यभिचारी बना गया।
दुष्ट प्रवृत्ति का बढ़ता युग ये अब नारी को शक्ति स्वरूपा बनने का वक़्त आया।
अन्याय को न्याय करने काली बनने का, लक्ष्मी स्वरूपा को रणरागिनी बनने का वक़्त आया।
धर्म कर्म से सुसंस्कारी हिन्दू संस्कृति को दौहराकर संस्कार पीरोंकर संस्कृति आगे बढ़ने का वक़्त आया।
शीर्षक : - " अंदर की आवाज़ "
मेरे अंदर की आवाज़ अंतरात्मा से आयी है।
मतलबी दुनियां का मतलब समझ तुझे सच्चाई का गहना पहनना है।
दुष्कर्मियों का फ़रेबी नकाब सिंहिनी बन नोंचकर निकाल फेकना है।
जागरूक बनकर सदा तुझे जागरूक रहना है झुटे का मुँह काला तुझे करना है।
सच्चाई का साथ तुझे देना है चाहे दर्द हो कितना, फिर भी सच्चाई से ही सुकूँ पाना है।
मन की चाह दुतर्फी होती, चाहकर भी पल भर के सुकूँ की लालची जाल में ना कैद होना है।
हे इंसा मन से अच्छे विचारों का प्रेमी तुझे बनना है,बुराई का कत्ल कर मीलों दूर जाना है।
अन्याय के खिलाफ तुझे लड़ना है इंसाफ़ करते कोन अपना कोन पराया ना सोचना है।
इंसाफ़ के तराजू से क़ायदे कानून का उल्लंघन ना कर सही इंसाफ आँखो में पट्टी बांधकर भी करना है।
संयमी बन लेकिन मजबूर कभी ना बनना है, आत्मशक्ति को पहचानकर शिकार न कभी बनना है।
प्रेम मोह माया के जाल से दूर रहकर, त्यागी बन तुझे शिकारी कभी ना बनना है।
वक़्त तो कभी हाथ का ना रहता ,बुरी सोच से पैर ना कभी फिसलें देना है।
तू कितना भी कामयाबी बन माता पिता के चरणों मे ही
माथा टेक ज़िन्दगी का स्वर्ग बनाना है।
हे इंसा तू संस्कारी देश का सुजान नागरिक बन ,मन के आतंक से आतंकी ना बनना है।
तुझ से हो खिला संसार सारा भारत के नवनिर्माण का उत्तरोत्तर अधिकारी तुझे बनना है।
मेरे अंदर की आवाज़ को सुनकर मैंने सच्चाई का ही गहना पहना है।
शीर्षक :- " दिमाग़ की शक्ति " ....💕
ज़िन्दगी को नूर से कोहिनूर बनाना है।
तो अपने ज़हन से खुद का दृढ़ संकल्पित लक्ष्य बनाना है।
ए राही आपने राह की ओर बढ़ , एक नए युग का निर्माता बनना है।
हे नवयुग के नवनिर्माता !, तुझे कठोर परिश्रमी बनना है।
कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से दिमाग़ में नव शक्ति प्रगट करनी है।
ऐसे लक्ष्य बनाओ की तुम्हारे जहाँ का अधंकार मिट जाए।
तेरे राह पे चलने वाला भी तेरे मिट्टी से सुगंधित हो जाए।
आँधी तूफान बन राह के काँटो का सरताज तू पहन जाए।
जहन से हो जिद्दी लक्ष्य तेरा सूरज से प्रखर रोशनी छा जाए।
प्रबल इच्छाशक्ति के तीर तेरे आसमाँ को भेद जाए।
दिमाग़ की शक्तियों से तेरे आसमाँ का सबल अधिकारी तू बन जाए।
जुनून का अंगारी शोला बन खून की दौड़ से दिमाग़ को दौड़ना है।
अपने दिमाग से वक़्त को मुट्ठी में कैद कर वक़्त को जितना है।
नव युग का तू ही निर्माता बन नयी पीढ़ी की प्रखर नवचेतना बननी है।
दिमाग की चतुराई से उत्तेजित चतुराई की ज्वालामुखी तुझे बननी है।
शीर्षक : - " ड्रीम गर्ल "
माँ के आँखो देखा हर ख़्वाब पूरा करू मैं...
विरुद्ध जाकर बेटी को जन्म देनेवाली अकेली पड़ी है वो ,
आख़िर उसकी ड्रीम गर्ल बनु मैं...
ज़िन्दगी की नयी पहचान माँ की बनाऊँ मैं...
जिदसे लडू , माँ की रोशनी बन ,
बड़ी शिद्दत से उसका हर सुकूँ लौटाऊँ मैं...
माँ के दिखाए राहसे चलू मैं...
संस्कारों वाली नयी सोच की संस्कृति का उदाहरण बन,
कालीसे कल्पना बनू चाँद को छू आऊँ मैं...
🔥🔥शीर्षक :- सीख🔥🔥
सोला संस्कारो में से एक गर्भसंस्कार, गर्भ में ही हमे संस्कार किये जाते है।
ज़िन्दगी की हसीन शुरुआत शिक्षा एवं सीख देकर ही शुरू होती है।
बचपन मे माँ कहानियां सुनाती हमे बारम्बार है।
प्यासे कंवे को सुनकर चतुराई की सीख देती सौ बार है।
ज़िन्दगी में शिक्षा तो हमे हर नए पल से सीखने मिलती है
पहला गुरु माँ ही तो सरस्वती के रूप से सीख देती है।
पाठशाला में हमे ज़िन्दगी जीने एवं आगे बढ़ने की शिक्षा एवं सीख दियी जाती है।
प्रकृति के हर रूप से हमे नयी शिक्षा एवं सीख ज्ञात होती है।
फूल पेड़ पौधों से हर आँधी तूफानों से लड़ने की सीख हमे मिलती है।
वेद पुराणों के पौराणिक कथाओ से संस्कार और जीने के मायने हमे समझाते,एक सीख दे जाता है।
हिंदू संस्कृति ही हमे धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष की सीख देते है।
रूढ़ी परंपराओं से हमे ऋषि मुनियों ने ज्ञान विज्ञान की सीख दियी है।
एक समझ से देखा जाए तो जिंदगी में हमे शिक्षाएँ पल पल खूब मिली है।
लेकिन सही मायने से देखा जाए तो सीख हमे हारने के बाद अनुभवों से मिली है।
वक़्त हमे वो सीख दे जाता है हारने के बाद आत्मविश्वास जागरूत कर,
मंज़िल वही पर राह बदलने की सीख हमे देकर यशोशिखर पे ले जाता है।
मेरे ख्यालों से हमारा वक़्त और हमारी हार ही हमे सही सीख दे जाते है।
हमारे कवि व उनकी रचनाएँ
हमारे लेखक व उनकी रचनाएँ
पंचपोथी एक साहित्यिक मंच है,इस मंच पर आपको मिलेगी हिन्दी साहित्य रचना (जैसे कविता,गज़ल,कहानी आदि)
तो देर किस बात की आइये पढ़ते है कुछ रचनाएँ जो प्रस्तुत है इस ब्लॉग पर
इससे पहले आपको बताना चाहेगें पंचपोथी your qoute appपर एक compitation fourm प्रोफाइल है जो प्रतियोगिता आयोजित करता है।
हमारे बारे में अधिक जानकारी के लिये follow करे:-
अन्य रचनाएँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें