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शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

कविता/sanju tripathi

 पंचपोथी - एक परिचय


नमस्कार 
तो कैसे है आप लोग?
ठीक हो ना! चलिये शुरुआत करते है सबसे पहले आपका बहुत बहुत स्वागत और हार्दिक अभिनंदन!

आपको बता दिया जाता है कि यह पंच पोथी समूह नये कवियों व नये लेखकों का मंच है ,इस मंच पर नये कवि व लेखक जो अपनी रचना प्रकाशित करना चाहता हो तो उन रचना को यहाँ प्रकाशित किया जाता है।

आपकी रचना कैसे प्रकाशित करे?

आप एक कवि या लेखक है तो हमे रचना भेज सकते है।
1 - आपकी रचना मौलिक होनी चाहिये।
2 - कम से कम 5 रचना भेजे।
3 - हमें आपकी रचना email के माध्यम से भेजे।
    - panchpothi29@gmail com 
4 आपकी रचना आपके नाम से ब्लॉग पर post की जायेगी।



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Sanju tripathi 


1- कर्म

कर्मठ बनकर कर्म करो कर्म करने से तुम कभी ना डरो।

श्रम करो अपनी किस्मत लिखो जीवन को यूं न व्यर्थ करो।

बुद्धि, शक्ति,विवेक से अपना लक्ष्य को खुद  निर्धारित करो।

यह जीवन कर्म प्रधान है निरंतर भरसक  बस प्रयास करो।

अकर्मण्य बन किस्मत को न कोसो कर्मवीर बन भोग करो।

सूर्य ऊर्जा,जल जीवन,धरा अन्न और पवन स्वांस को देखो।

जग में सब कर्म कर रहे अपना उनका ही अनुसरण करो।

तिनका तिनका जोड़े पंक्षी कुदरत भी अपना काम करे।

जग है कर्मवीर से भरा अब तुम भी इसका भान करो।

अच्छे कर्मों से धरा को स्वर्ग बनाओ निष्काम कर्म करो।

कर्म से बनाओ बस मित्र, मित्र से ही सुख संसार भरो।

दुनियां की छोड़ कर तुम नित्य ही बस अपने कर्म करो।

-"Ek Soch"



 2- यादें

यादें जब याद आती हैं, तो कभी हंसाती है, कभी रुलाती हैं।
यादों की दुनियां की अपनी अलग ही एक कहानी होती है। 

कभी इसकी जुबानी होती है, तो कभी उसकी जुबानी होती है।
कभी यादें गमों का समंदर हैं, तो कभी खुशियों का बवंडर हैं।

कभी यादों में नफरत है, तो कभी प्यार की यादें बेशुमार हैं।
यादों की रोशनी से सदा ही रोशन रहती हैं सबकी ये दुनियां।

यादों की एक छोटी किताब सभी के दिलों में छुपी रहती है।
कुछ यादें धुंधली हो जाती है, और कुछ गहरी बनी रहती हैं।

-"Ek Soch"



3- प्रकृति की विनाशलीला

प्रकृति के संसाधनों का जब दुरुपयोग किया तब इसकी पीड़ा क्यों समझ नहीं पाये तुम।

कभी सुनामी कभी बाढ़ का तांडव कहीं भूकम्प के रूप में क्रोध को क्यों देख न पाये तुम।

प्रकृति अपना अस्तित्व बचाने को चहुँ ओर कर रही थी जब पुकार क्यों जान न पाये तुम।

प्रकृति की विनाशलीला को देख अब क्यों कर रहे हाहाकार और क्यों इतना घबराये तुम।

-"Ek Soch"



 4- हमारी दोस्ती

खुदा की रहमत से पाई है हमने दोस्ती तुम्हारी।
इसे ना तोड़ेंगे हम कभी भी चाहे दुनियां सारी।

यारा तेरी यारी हमको जान से भी ज्यादा प्यारी।
कभी ना हमको धोखा देना कसम है तुमको हमारी।

दीया- बाती जैसे सुख- दु:ख के हम जीवन साथी।
मुश्किलों की घड़ी में बस याद तुम्हारी ही आती। 

दोस्ती का रिश्ता हमारा हमको जान से भी प्यारा है।
दोस्ती से ही तो तेरी ऐ दोस्त हमारा सारा संसार है।

दोस्तों की दोस्ती की खुशियों में ही हमारी जिंदगी है।
दोस्तों से ही हम हैं और दोस्तों से ही हमारी बंदगी है।

-"Ek Soch"



5- बुलंद हौसले


आत्मविश्वास हो मन में तो, हर मुश्किल आसान लगती है।
हौसले बुलंद हो तो ऊंची से ऊंची उड़ान छोटी सी लगती है।

ज्ञान का प्रकाश फैलाकर ही, अज्ञानता मिटायी जा सकती है।
जोखिम वहन करने की क्षमता ही, सफलता दिला सकती है।

-"Ek Soch"









पंचपोथी एक साहित्यिक मंच है,इस मंच पर आपको मिलेगी हिन्दी साहित्य रचना (जैसे कविता,गज़ल,कहानी आदि) 
तो देर किस बात की आइये पढ़ते है कुछ रचनाएँ जो प्रस्तुत है इस ब्लॉग पर
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