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प्रेम पथिक
©️कॉपीराइट:anjalee chadda bhardwaj पंचपोथी के पास संकलन की अनुमति है।इन रचनाओं का प्रयोग anjalee की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता हैं।
विधा :कविता
शीर्षक: प्रेम पथिक
दिनांक:०३/११/२०२०
दिवस: मंगलवार
प्रेम पथ पर अग्रसर राही प्रेम पथिक कहलाते हैं
एकदूजे का संबल बनकर जीवन लक्ष्य को पाते हैं
कैसी भी पग -बाधा सक्षम नहीं विचलित करने में
आनंद की परमानुभूति हो या अवसाद भरे क्षण में
आशाओं का संचार अथवा हो निराशा का अवसर संबल
प्रदान करें परस्पर चौंसठ घड़ी आठों प्रहर
कर्तव्य निर्वाह का दायित्व पूर्ण करें संग आजीवन
सर्वदा साथ रहें हर अनजानी डगर एवं नगर निर्जन
निष्फल प्रयास करे कोई पर इनको तोड़ ना पाते हैं
अप्रतिम स्नेह-विश्वास डोर से आजीवन बंध जाते हैं
जीवन के प्रत्येक सुगम-दुर्गम पथ पर साथ निभाते हैं
प्रेम पथिक जन एक ही आत्मा एक प्राण कहलाते हैं
-© Anjalee Chadda Bhardwaj
मौलिक स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित रचना
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