मंगलवार, 3 नवंबर 2020

आजादी/कविता/shilpi kanaujia

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                        आजादी                        

©️कॉपीराइट: shilpi kanaujia    पंचपोथी के पास संकलन की अनुमति है।इन रचनाओं का प्रयोग  shilpi   की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता हैं।





विषय - आजादी
नाम - शिल्पी कनौजिया

बनकर शोला बरस गये, आजादी की लहर जब लोगों में जागी।
जैसे मेघ गरज दिये गरज - गरज कर धरती पर बरस दिये।।
जागी लहर जब मन में आजादी की, कफ़न बांध सिर पर सब चल दिये।
ना देखा उन्होंने अपने पैरों के छालो को बुलंदी पर चढ़ गये।
शत - शत नमन करते है हम उनका जो आजादी के लिए।
अपने प्राणों को भी न्यौछावर कर गये, हमको अंग्रेजो से आजाद कर गये।।

धन्यवाद



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