पंचपोथी - एक परिचय
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रचनाएँ:-
Poem 1
Sab dikhawa he
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ये आरती ये सृंगार आज किस काम की
दस बे दिन के बाद फिर सिकार तेरे शाम की !!
जो आज हर घर हर गली में मेरे नाम के गुण गाते हो
जब मांगती रहम तो गर्दन मोड के क्यों चले जाते हो !!
ये जो लगाए हो तमाशा नारी भक्ति का इस जाहान में
तुम ही वो कातिल निकलो गे जब लौटाओगे समसान में !!
मत करो ये दिखावा उसपे जो तुमको बनाया सवारा है
असली पूजा तो उसकी करो जो बेचारी किसिका साहारा है !!
Poem 2
Bebak mohabbat
सफर खूबसूरत हो तो तन्हा नहीं करते
थोड़ा तबज्जों दो ना हमे ऐसा नहीं करते ।।
ये लिवाज- ए- हुस्न को साफ रखा कीजिए
जो इंतजा में रुके है कबसे उसे मैला नहीं करते ।।
आशियां हमारा तो टूट चुका है कबसे ' कमल '
अगर उसे सवार ना है तो ऐसे सोचा नहीं करते ।।
आपके नज़रे कुछ बयां करती है अक्सर
अगर इजाज़त दे तो हम क्या क्या नहीं करते ।।
ये मोहब्बत की राहें में दर्द भी है और दवा भी
अगर मंजिल में वफा हो तो उसे रोका नहीं करते ।।
Poem 3
Maa tu samjha kar..
कोई सौक नहीं बड़े मकान का
मुझे अपने पल्लू में छुपाके रख ।।
क्या दुआ करूं उस खुदा से मां
बस तेरी साया मूझपे बना के रख ।।
भाग ना जाऊं किसी और गली में
कुछ डर तू मुझमें सजा के रख ।।
बस तेरे हाथ ना छोड़ दूं खुदगर्ज होके
मां तू एक एक कदम मुझसे बढ़ा के रख ।।
बस तेरी मोहब्बत में हद से गुजर जाऊं
कुछ ऐसा ही ऐब मूझपे तू जगा के रख ।।
Poem 4
Bedard mohabbat
मुझे जब तू मिला तो एक खयाल मिला
उलझन से उभरा फिर एक सवाल मिला ।।
दरिया बहा ले गया एक खत जो तुम्हारी थी
बचाने निकला तो उधर तेरी निकाह की खबर मिला ।।
गजब का मोहब्बत - ए - मजाक मेरे साथ हुआ
जब चूमा आखरी दफा तुम्हे दिल को सवर मिला ।।
अब सिकायत क्या करूं और गीला किस बात का
मेरे साथ छोड़ के अब तुम्हे एक नई मंजिल मिला ।।
मेरा मकान तो मिट्टी का था जो मेरे आंसू से गिर गया
मुबारक हो महल तुम्हारी जिसे पाकर तुम्हे सुकून मिला ।।
पंचपोथी एक साहित्यिक मंच है,इस मंच पर आपको मिलेगी हिन्दी साहित्य रचना (जैसे कविता,गज़ल,कहानी आदि)
तो देर किस बात की आइये पढ़ते है कुछ रचनाएँ जो प्रस्तुत है इस ब्लॉग पर
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