पंचपोथी - एक परिचय
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जेआर बिश्नोई / कवि
पंचपोथी साहित्य समूह पर राजस्थान के धोरो में जन्म लेने वाले जेआर बिश्नोई उर्फ जसराज की कुछ रचनाएँ:-
शीर्षक- आयी घटा
आनंद आयो जोर लगी तन पर छँटा
चारों दिशा से उमड़ घुमड़ के आयी घटा
मेह हुयो हुई भोर लगी सुहावन जोर
भीगी सारी भूमि छोड़ी नही कोई छोर
टिम टिम बरसा पानी रिमझिम हुई बारिश
किसानो की पूरी हुई हर ख्वाहिश
खेतों में खड़ी फसले मुस्कराने लगी
छोटे बच्चो से बड़े बूढ़ो तक नई उम्मीद जगी।
शीर्षक-मेरे मन में
मेरी मेरे मन में,तेरी तेरे मन में,
यह तन कितने दिन का है,
किसी को पता नहीं,
एक पल में
मिट जाये ये,
रह जाये मन की मन में।
मैने मेरा सोचा ,
तुमने ने तुम्हारा,
किसी को किसी का न लेना,
न देना
यहाँ बहता है सब कुछ
जैसे बहे निर्मल जल नदियों का रैला
छोटी सी जिन्दगी है
बह जाये टन की टन में
शीर्षक- मजबूरियाँ
मजबूरियाँ
कमजोर सी है
मगर
जिम्मेदारी मार देती है
इन्सान को
धमकियों के बजाय
जिम्मेदारी सिखा देती है
जीना
शैतान को
रह ले खुले में इन्सान
मगर कुछ जिम्मेदारियाँ
बनावा देती है
मकान को
शीर्षक- इस जिन्दगी में
छिन ली मेरी अपार उर्जा,
शहर के बंद कमरे ने,
जिसमें मै मेरे परिवार से दूर ,अकेला रहा करता था
बेरोजगारी की ठोकरे खाता,रोजगार को
तलाशता फिर रहा था,
छीण हुई मेरी शक्ति को लेकर
जब मै मेरे गांव को आया,
मेरे माता पिता जो है
एक खेतिहर किसान
उनके साथ खेत को गया,
उगते प्रभाते,
भरे बाजरे के खेत में,
हुई उमश
जोर की,
तरबर हुई मेरी ललाट
भीग कर पसीने से,
फसल को इक्कठा
करने का जो दुपट्टा था वो भी भीग गया,
मानो वो खुद रोया हो
इस भरी गर्मी दुपहरी में,
मैं कई बार रोया
खोया
इस जिन्दगी में सोया जागा उठा फिर चला
थका हारा मांदा फिरा
चमचमाती धूप में,
तपती रेत के कणो को देखता फिरता
खेत में काम करता चलता रुकता गिरता संभलता
किसान का दर्द खुद झेलता छोड़ता आह भरता हुआ फिर रोता।
पंचपोथी एक साहित्यिक मंच है,इस मंच पर आपको मिलेगी हिन्दी साहित्य रचना (जैसे कविता,गज़ल,कहानी आदि)
तो देर किस बात की आइये पढ़ते है कुछ रचनाएँ जो प्रस्तुत है इस ब्लॉग पर
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